गिर के फिर उठा हूँ में
बादलो से फिर लडा हु में
दिल में आग है मेरे l
कुछ कर गुज़र ने निकला हू में
समज ना मुझको रेत तू
और पकड़ ना मुजे हाथ में
फिसल जाऊंगा हाथ से,
फिर हाथ तेरे ना आउंगा
खुद को ढूंढने निकला हूं में
फिर कभी ना आऊंगा ....
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